*कार्तिक मास में 7 नियम निभाएं, सुख-समृद्धि पाएं...*
*1) पहला नियम :-*
*दीपदान , कृष्ण कथा एवम हरे कृष्ण महामन्त्र का जप- धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने भगवान श्री कृष्ण को दीपदान किया जाता है, खास कर बाल रूप को। इससे हजारो गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।*
भगवान की दामोदर लीला का पठन, चर्चा एवम गायन किया जाना चाहिए। इसी मास में दीवाली के दिन भगवान को यशोदा मैया ने ऊखल से बंधा था और भगवान ने दामोदर लीला किया था
सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है , इस मास में अधिक से अधिक भगवान के नाम ( हरे कृष्ण महामन्त्र)का जप करे।
*2) दूसरा नियम :*
*तुलसी पूजा - इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।*
*3) तीसरा नियम :*
*भूमि पर शयन - भूमि पर सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।*
*4) चौथा नियम :*
*तेल लगाना वर्जित - कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।*
*5) पांचवां नियम :*
*दलहन (दालों) खाना निषेध - कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।*
*6) छठा नियम :*
*ब्रह्मचर्य का पालन - कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।*
*7) सातवां नियम :*
*संयम रखें - कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।*
🌹🙏🌹
*1) पहला नियम :-*
*दीपदान , कृष्ण कथा एवम हरे कृष्ण महामन्त्र का जप- धर्म शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में सबसे प्रमुख काम दीपदान करना बताया गया है। इस महीने भगवान श्री कृष्ण को दीपदान किया जाता है, खास कर बाल रूप को। इससे हजारो गुना पुण्य की प्राप्ति होती है।*
भगवान की दामोदर लीला का पठन, चर्चा एवम गायन किया जाना चाहिए। इसी मास में दीवाली के दिन भगवान को यशोदा मैया ने ऊखल से बंधा था और भगवान ने दामोदर लीला किया था
सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है , इस मास में अधिक से अधिक भगवान के नाम ( हरे कृष्ण महामन्त्र)का जप करे।
"हरे कृष्णा हरे कृष्णा
कृष्णा कृष्णा हरे हरे
हरे रामा हरे रामा
रामा रामा हरे हरे "
*तुलसी पूजा - इस महीने में तुलसी पूजन करने तथा सेवन करने का विशेष महत्व बताया गया है। वैसे तो हर मास में तुलसी का सेवन व आराधना करना श्रेयस्कर होता है, लेकिन कार्तिक में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है।*
*3) तीसरा नियम :*
*भूमि पर शयन - भूमि पर सोना कार्तिक मास का तीसरा प्रमुख काम माना गया है। भूमि पर सोने से मन में सात्विकता का भाव आता है तथा अन्य विकार भी समाप्त हो जाते हैं।*
*4) चौथा नियम :*
*तेल लगाना वर्जित - कार्तिक महीने में केवल एक बार नरक चतुर्दशी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही शरीर पर तेल लगाना चाहिए। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल लगाना वर्जित है।*
*5) पांचवां नियम :*
*दलहन (दालों) खाना निषेध - कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई आदि नहीं खाना चाहिए।*
*6) छठा नियम :*
*ब्रह्मचर्य का पालन - कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नहीं करने पर पति-पत्नी को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।*
*7) सातवां नियम :*
*संयम रखें - कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों के समान व्यवहार करें अर्थात कम बोले, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें आदि।*
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